झांसी: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने मोदी के सबका साथ के नारे पर पानी फेरा
प्रेस कान्फे्रंस में पत्रकारों ने किया हंगामा
झांसी। भले ही देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सबका साथ, सबका विकास व सबका विश्वास का नारा देते-देते थक जाएं, किन्तु उनकी पार्टी के कतिपय नेता इस पर पानी फेरने में कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वह सबका नहीं, कुछ नामचीनों का ही साथ की बात कह कर पार्टी की नीतियों को ही ठेंगा दिखा रहे हैं। इसका उदाहरण आज झांसी में भाजपा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की प्रेस वार्ता के दौरान स्पष्ट दिखाई दिया तो पत्रकारों ने हंगामा कर दिया। दरअसल, सीएए, एनपीआर, एनआरसी के बारे में वास्तविकता उजागर बताने के लिए पार्टी के कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष की प्रेस कान्फे्रंस आमंत्रित की गयी थी। इसके लिए पार्टी के मीडिया प्रभारी द्वारा बकायदा देश-प्रदेश के लगभग सभी छोटे, मझोले, बड़े अखबारों, इलैक्ट्रानिक मीडिया चेनल्स आदि के जिला मुख्यालय में स्थित संवाददाताओं को आमंत्रित किया गया था। पार्टी कार्यालय में मीडिया कर्मियों से रू-ब-रू हुए प्रदेश अध्यक्ष ने सीएए, एनपीआर, एनआरसी पर लम्बा चौड़ा प्रवचन दिया और कांगे्रस सहित सपा, बसपा आदि विपक्षी पार्टियों को निशाने पर रखते हुए उनके नेताओं को झूठों का सरदार बता कर खबरों की हेड लाइन बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनकी बात समाप्त होने के बाद जब पत्रकारों के सवालों की बौछार शुरू हुई तो प्रदेश अध्यक्ष एक-दो के न समझ में आने वाले उत्तर देकर उठने लगे। इस पर पत्रकारों ने शोर मचा कर सवाल दागने शुरू कर दिए तो प्रदेश अध्यक्ष ने इन्हें अनसुना कर जैसे ही कतिपय तीन नामचीन अखबारों को बुला कर बात करने को कहा तो हंगामा बढ़ गया। पत्रकारों ने इसे पक्षपात निरूपित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष को कठघरे में खड़ा कर सवाल दागना शुरू कर दिये। स्थिति बिगड़ते देख कर सदर विधायक रवि शर्मा ने मोर्चा सम्भाला और पत्रकारों के बीच पहुंच कर मना-मनौब्बल शुरू कर दी। विधायक के प्रयासों पर पत्रकारों का आवेश मंद तो पड़ा, किन्तु उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष के मीडिया के साथ भेदभाव पर सवालिया निशान लगाते हुए अपना पक्ष रखा कि यदि तीन से ही बात करना थी तो सभी को क्यों बुलाया गया था। इसका विधायक के पास कोई जवाब नहीं था। पत्रकारों का कहना था कि प्रदेश अध्यक्ष की पक्षपात पूर्ण नीति ने साबित कर दिया कि भाजपा के नेताओं की कथनी व करनी में फर्क है।