उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पंचायत चुनाव समिति के केन्द्रीय सदस्य डाॅ सुनील तिवारी ने फोन कान्फ्रेंस के जरिए शिक्षाविदों से बात करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षक भर्ती घोटाले से युवाओं का ध्यान भटकाने के लिए, 6.7 लाख शिक्षको के वेरीफिकेशन की बात कर रही है ।
डाॅ तिवारी ने कहा कि जब अध्यापक की प्रथम नियुक्ति होती है, तो उसके सभी शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच सरकार के द्वारा सम्बन्धित बोर्ड / विश्व विद्यालय के माध्यम से पूर्ण कराये जाने के बाद ही वेतन निर्गत किया जाता है ।
उन्होंने सीधे तौर पर सरकार से चार प्रश्न किये, कि क्या सरकार ने वेतन निर्गत होने से पूर्व प्रथम नियुक्ति के उपरांत प्रदेश के 6.7 शिक्षकों के प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं कराया गया ?
उत्तर प्रदेश में जिन शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों में सत्यापन में सही नहीं पाये गये,क्या उन अभ्यर्थियों के सापेक्ष उन शिक्षाधिकारियों को दण्डित किया गया, जिनके कार्य काल में अपात्र शिक्षकों के वेतन आहरण का अनुमोदन किया गया ?
क्या माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड और उच्च शिक्षा आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियां राजनीति से प्रेरित नहीं है?
क्या माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से नियुक्ति पाकर, सफल अभ्यर्थियों को, जिनमें प्रधानाचार्य, प्रवक्ता और एल टी ग्रेड के शिक्षक होते है, उन्हें आसानी से आवंटित माध्यमिक विद्यालय में कार्यभार ग्रहण कराया जाता है?
डाॅ सुनील तिवारी ने कहा कि सन् 2011 से चयनित कुछ शिक्षक, आज भी, आवंटित विद्यालयों और चयन बोर्ड के चक्कर काट रहे है ।
कांफ्रेंस का संयोजन महावीर जैन इण्टर काॅलेज, रानीपुर के प्रधानाचार्य ठाकुर दास अहिरवार ने किया ।
आभार ज्ञापन कांग्रेस नेता राजेंद्र शर्मा ने किया ।
कांफ्रेंस में कांग्रेस की ओर से अशोक तिवारी, पूर्व जिला महामंत्री अमीर चंद आर्य, पूर्व जिला सचिव सुरेश नगाइच आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे ।